Friday, January 5, 2018

ईश्वर का पता

रात के एक बजा था, एक सेठ को नींद नहीं आ रही थी,
वह घर में चक्कर पर चक्कर लगाये जा रहा था। पर चैन नहीं पड़ रहा था । आखिर मैं थक कर नीचे उतर आया और कार निकाली . शहर की सड़कों पर निकल गया। रास्ते में एक गुरुद्वारा दिखा सोचा थोड़ी देर इस गुरुद्वारे में जाकर बैठता हूँ।  अरदास करता हूं तो शायद शांति मिल जाये। वह सेठ गुरुद्वारे के अंदर गया तो देखा, एक दूसरा आदमी पहले से ही गुरु गृंथ साहिब के सामने बैठा था, मगर उसका उदास चेहरा, आंखों में करूणा दर्श रही थी। सेठ ने पूछा " क्यों भाई इतनी रात को गुरुद्वारे में क्या कर रहे हो ?" आदमी ने कहा " मेरी पत्नी अस्पताल में है, सुबह यदि उसका आपरेशन नहीं हुआ तो वह मर जायेगी और मेरे पास आपरेशन के लिए पैसा नहीं है " उसकी बात सुनकर सेठ ने जेब में जितने रूपए थे  वह उस आदमी को दे दिए। अब गरीब आदमी के चहरे पर चमक आ गईं थीं । सेठ ने अपना कार्ड दिया और कहा इसमें फोन नम्बर और पता भी है और जरूरत हो तो निसंकोच बताना। उस गरीब आदमी ने कार्ड वापिस दे दिया और कहा "मेरे पास उसका पता है " इस पते की जरूरत नहीं है सेठजी आश्चर्य से सेठ ने कहा "किसका पता है भाई " उस गरीब आदमी ने कहा "जिसने रात को ढाई बजे आपको यहां भेजा उसका"

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