Thursday, June 16, 2016

गुरु और कर्म


संसार दा भरमन करदे होये गुरु नानक देव जी इक नगरी विच पहुँचे। सारी संगत इकठी हो गई। इक गुरुमुख भगताणी ने विनती कीती हे सच्चे पादशाह मेरे घर औलाद नई ऐ अपनी किरपा नाल मैंनु इक लाल दे दो। सच्चे पादशाह ने क्या तेरे घर 4 लाल जनम लेंन गे। इक होर जिज्ञासु ने गुरु नानक देव जी नु क्या में गरीब हा मेरी गरीबी दूर कर दो। गुरु नानक देव जी ने क्या तू ऐस नगरी दा राजा बनेगा। इक मनमुख जिज्ञासु ने हाथ जोड़ के विनती किती मेरी वि इक गल दा जवाब दो सच्चे पादशाह में ते सुनया वे समह से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को कुछ नही मिलता। और जो किस्मत में लिखा होता है वो ही मिलता है फिर अगर ऐस दी किस्मत विच 4 लाल सी ते क्यों नई मिले। जे नई सी ते तुस्सी किवे दे दिते। जे ऐस ने राजा बनना सी ते क्यों नई बनया। जे नई बनना सी ते तुसी किवे ऐनु राजा बना दित्ता। गुरु नानक देव जी ने क्या तू बहुत ही अच्छा सवाल किता है जा इक पेपर और स्याही ले आ।  ओ ले आया। सच्चे पादशाह ने क्या तू ऊँगली विच जेडी अँगूठी पायी है इस नु स्याही लगा।ओनहे स्याही लगाई। हुन अंगूठी नू पेपर ते लगा ओनहे लगाई  सच्चे पादशाह केहन लगे तेरी अंगूठी ते ॐ उल्टा सी ते हुन्न  ॐ सिददा हो गया ऐ। ऎसी तरह जनम लेंन तो पहले करम लिखे जांदे ने। ते गुरु दी शरण जान नाल गुरु दी किरपा नाल जेडे करम पुट्ठे होंदे ने गुरु अपनी किरपा नाल ओनहा नु सीधा कर देंदे ने।

Contributed by
Sh Vineet ji

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