Sunday, March 13, 2016

फ़कीर का बल

गुरु नानक जी महाराज एक बार भाई मर्दाने के साथ एक जंगल से गुजर रहे थे,,,उन्हें वहां लुटेरो ने घेर लिया,,,वो बोले अपना सब कीमती समान हमें दे दो,,,नही तो हम आप को कत्ल क़र देंगे
फकीरो के पास फ़क़ीरी के सिवा होता क्या है,,,गुरु नानक साहेब बोले भाई जो धन हमारे पास है उसे आप लूट नही सकते,,,लुटेरे बोले अगर लूट नही सकते तो हम आप का कत्ल कर के आप की लाशो से वो धन पा लेंगे,,,इतना कह कर वो गुरु नानक साहब का कत्ल करने को तत्पर हुए
गुरु नानक बोले ठीक है भाई,,,हमें कत्ल कर दो लेकिन हमारी इच्छा है हमें कत्ल करने के बाद हमारा शरीर अग्नि भेट कर देना,,,
इतने बियाबान जंगल में आग कहाँ से लाएंगे,,,लुटेरो नें सवाल किया तो गुरु नानक साहब ने कुछ दूर जलती एक चिता की तरफ इशारा किया,,,लुटेरो का सरदार अपने कुछ साथियो के साथ उधर गया तो देखता है कि चिता के निकट देवदूत और यमदूतों के बीच बहस हो रही है
यमदूतों ने कहा इस चिता की आत्मा नरकगामी है इसने इस धरा पर असंख्य पाप किये है,,,हमे इसे नर्क ले कर आने का हुक्म हुआ है
देवदूत बोले ये ठीक है की ये आत्मा नरकगामी थी लेकिन इस की चिता की तरफ गुरु नानक साहब ने इशारा किया है इसके पाप उन्होंने माफ़ कर दिए है,,,अब ये अपने धाम को जाएगा
लुटेरो के सरदार ने जब ये सुना तो मन में सोचा कि जिस फकीर की एक ऊँगली के इशारे से दरगाह में गुनाहो से भरे कागज फाड़ दिए जाते है,,,हम ऐसे गुरु नानक का कत्ल करने की सोच रहे है,,,,इतना सोच कर वो अपने सब साथियो के साथ धन्य गुरु नानक साहब के चरणों में नतमस्तक हो गया,

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