Friday, November 20, 2015

गुरु का स्थान

एक बार देवताओं के अन्दर विचार विमर्श चल रहा था कि संसार में सबसे बड़ा कौन है ? तो उन्होंने कहा— सबसे बड़ी पृथ्वी है तो विचार भी किया। हाँ, पृथ्वी सबसे बड़ी है लेकिन एक देव उससे सहमत नहीं हुआ। वह कहने लगा — यदि पृथ्वी बड़ी है तो बताओ कि वह शेषनाग के सिर पर क्यों टिकी है ? जो इतनी बड़ी पृथ्वी का वजन सहन कर रहा है तो वह उससे बड़ा है। सबकी अक्ल में आयी और कहा— हाँ , शेषनाग जी सबसे बड़े हैं। सब कहने लगे — हाँ भाई ! शेषनाग जी सबसे बड़े हैं।

लेकिन एक देव कहने लगा कि जब शेषनाग जी बड़े हैं तो वह शंकर जी के गले में क्यों पड़े हैं? तो सबकी अक्ल में आयी की शंकर जी सबसे बड़े होने चाहिए । तो सब कहने लगे कि शंकर जी सबसे बड़े हैं । एक देव कहने लगा — यदि शंकरजी सबसे बड़े हैं तो वह वैलाश पर्वत पर क्यों पड़े हैं ? तो सभी कहने लगे कि हाँ भाई वैलाश पर्वत सबसे बड़ा है । तो एक देव कहने लगा — कि वैलाश पर्वत सबसे बड़ा है तो यह हनुमान जी के हाथों में क्यों उठा है ? तब सबने कहने लगे कि हनुमानजी सबसे बड़े हैं ? फिर एक देव कहने लगा — कि हनुमान जी सबसे बड़े हैं तो रामचन्द्र जी के चरणो में क्यों पड़े हैं? तो फिर सब कहने लगे — कि सबसे बड़े रामचन्द्र जी है, रामचन्द्र जी बड़े हैं तो एक देव कहने लगा कि रामचन्द्र जी बड़े है तो वह गुरु वशिष्ठ के चरणों में क्यों पड़े हैं? तो सबको मालूम हुआ कि गुरु का स्थान सबसे बड़ा है।



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