Wednesday, October 21, 2015

न्याय

एक वैश्या मरी और उसी दिन उसके सामने रहने वाला बूढ़ा सन्यासी भी मर गया,संयोग की बात है।देवता लेने आए सन्यासी को नरक में और वैश्या को स्वर्ग में ले जाने लगे। संन्यासी एक दम  खड़ा हो गया,तुम ये कैसा अन्याय कर रहे हो? मुझे नरक में और वैश्या को स्वर्ग में ले जा रहे हो,जरूर कोई भूल हो गई है. उसे परमात्मा के पास ले जाया गया, परमात्मा ने कहा इसके पीछे एक गहन कारण है,-वैश्या शराब पीती थी,भोग में रहती थी,पर जब तुम मंदिर में बैठकर भजन गाते थे,धूप दीप जलाते थे,घंटियां बजाते थे,,,तब वह सोचती थी कब मेरे जीवन में यह सौभाग्य होगा,मैं मंदिर में बैठकर भजन कर पाऊंगी कि नहीं,वह तिल। तिल रोती थी,और तुम्हारे धूप दीप की सुगंध जब उसके घर मे पहुंचती थी तो वह अपना अहोभाग्य समझती थी,घंटियों की आवाज सुनकर मस्त हो जाती थी।लेकिन तुम्हारा मन पूजापाठ करते हुए भी यही सोचता कि वैश्या है तो सुंदर पर वहां तक कैसे पंहुचा जाए?तुम हिम्मत नही जुटा पाए,,तुम्हारी प्रतिष्ठा आड़े आई--गांव भर के लोग तुम्हें संयासी मानते थे।
जब वैश्या नाचती थी,शराब बंटती थी,तुम्हारे मन में वासना जगती थी इसलिए वैश्या को स्वर्ग लाया गया और तुम्हें नरक में।वेश्या को विवेक पुकारता था। ,वह प्रार्थना करती थी तुम इच्छा रखते थे वासना की।वह कीचड़ में थी पर कमल की भांति ऊपर उठती गई। और तुम कमल बनकर आए थे कीचड़ में धंसे रहे।

Source ~internet

No comments: