Tuesday, October 13, 2015

भाग्ये का खेल

एक ग़रीब आदमी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान् पूछते हैं क्या चाहिए ?
आदमी कहता है मैं अमीर बनना चाहता हूँ। भगवान् कहते हैं ठीक है लेकिन शर्त ये है कि तू पानी में डूबकर मरेगा। वो आदमी स्वीकार कर लेता है और मन ही मन निश्चय करता है कि कभी पानी में सफर नहीं करेगा।
ग़रीब आदमी की लॉटरी लग जाती है, तो सोचता है कि तट पर ही धूप सेकूगा, सागर में नहीं नहाउंगा। उसी समय कोई उसे लॉटरी में जहाज से सैर करने का एक फ्री टिकट दे देता है, मन में लालच आ जाता है। सोचता है– मैं अकेला थोड़ी ही हूँ, वहाँ तो बहुत लोग होंगे, मुझे मारने के लिए भगवान् सबको तो मारेगें नहीं। जहाज पर सवार हो जाता है।
तट से दूर पहुँचने पर जहाज डूबने लगता है। ग़रीब आदमी भगवान् को पुकारता है, पूछता है, मेरे कारण आप ढाई हजार लोगों को क्यों मार रहे हो?
भगवान् – ये तो मैं ही जानता हूँ कि कैसे-कैसे ये 2500 लोग मेंने एक जगह इकट्ठे किये। 

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