Saturday, August 8, 2015

चाह!

एक बार एक राजा ने नगर में घोषणा कर दी की कल सुबह महल के द्वार खुलने पर जो व्यक्ति जिस भी वस्तु को छुएगा वो वस्तु उस की हो जायेगी चाहे वो कितनी भी कीमती हो और उस में महल के व्यक्ति विशेष भी शामिल है।घोषणा सुनते ही अगली सुबह सारा शहर महल के द्वार पर इकठ्ठा हो गया ताकि द्वार खुलते ही अपनी पसंद की मेहंगी से मेहंगी वस्तु हासिल कर सके।सभी अपनी कल्पनाओ में कीमती वस्तुओ के सपने बुनने लगे।द्वार खुलते ही जन सैलाब उमड़ पड़ा। हर कोई व्यक्ति पागलो की तरह कीमती से कीमती वस्तु हासिल करने लगा। इतने में एक छोटी सी लड़की आराम से चलते चलते राजा के पास आ पहुंची । और उसे छू लिया।नियम के मुताबिक राजा उस लड़की के हो चुके थे और उस से सम्बंधित सभी वस्तुए भी।ठीक इसी प्रकार हम ईश्वर से भैतिक सुख पाने की अंधी दौड़ तो दौड़ते है परंतु स्वयं कभी उस की मांग नहीं करते।यदि वो हमें मिल जाए तो अन्ये वस्तुओ की लालसा स्वयं ही समाप्त हो जायेगी।इस बात को शास्त्रो में क्या खूब लिखा है
जाके वश खान सुलतान। ताके वश में सगल जहाँ!




Compiled and edited by Sh. Bharat ji
(Founder and senior member
Yaatra -watsapp group)

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