Saturday, August 1, 2015

सेवा और संबंध

मनुष्य का जीवन पाना अापार सौभाग्य व परमात्मा की बहुमूल्य भेंट है  यद्यपि इसकी दिशा और दशा प्रारबध  है किंतु  भक्ति मार्ग का चयन करने की मानव को पूर्ण स्वतंत्रता है परमात्मा की स्तुति पूजा उपासना व अंतत: साधना ही हमारा वास्तविक लक्ष्य है  इस रहस्य का आभास दुर्लभ है।इस पड़ाव पर पहुँच कर साधक की ईश्वर प्राप्ति की साधना का केवल गुरू रूपी कड़ी से पथ प्रशस्त होता है और वह अतं में अपने आराध्य से अभिन्न रूप से जुड़  जाता है
     साधना के भिन्न रूप जैसे सेवा ,तप, जाप ,योग इत्यादि परीक्षाओं और कठिनाई से परिपूर्ण हैं  इस मार्ग पर माया और प्रकृति की पकड़ भी दृढ़ हो जाती है जिसे अंहकार की वृद्धि और विवेक का हरण होता है
निम्नलिखित प्रसंग इस दशा की बख़ूबी विवरण करता है
 गुरुदेव रवींद्रनाथ जी से ऐसे ही असमंजस में फँसे एक छात्र ने पूछा- “गुरुदेव! कृपया यह बताएं कि संबंध और सेवा में क्या अंतर है? इन दोनों में कौन अधिक उपादेय है और किसका चयन करना चाहिए?” गुरुदेव ने कहा, 'संबंध और सेवा आपस में जुड़े हैं। भावनाओं के कारण ही संबंध बनते हैं और उन्हीं के उफान से व्यक्ति सेवा-कार्य करने लगता है। संबंध की अंतिम परिणति कई बार अधिक सुखद नहीं होती। संबंध में यदि अपेक्षाओं का बोझ डाल दिया जाए तो यह अति बोझिल व असह्य हो जाता है।सेवा के साथ भी अपेक्षा और परिणाम पाने की इच्छा बलवती हो जाए, तो यह अपना उद्देश्य खो बैठती है। अपेक्षा की अधिकता में संबंध खत्म हो जाते हैं, वहीं अपेक्षाओं की न्यूनता में ये विकसित होते हैं।“ ये ही नहीं सेवा करते-करते भी हम सेवा प्राप्त करने वाले के साथ एक अदृश्य संबंध बना बैठते हैं सेवा का उद्देश्य यदि निष्काम न हो तो हम जिसकी सेवा करते हैं, उसके बदले में कुछ न कुछ पाना चाहते हैं। हम उससे सद्भाव की अपेक्षा रखने लगते हैं और जब वह सेवा से प्रसन्न होकर हमारी प्रशंसा करता है तो हम उसकी ओर आकर्षित होने लगते हैं। इसकी परिणती एक नए संबंध के रूप में सामने आती है।संबंध तभी ठीक है जब अपेक्षाओं का बोझ कम हो और सेवा उत्कृष्ट हो यदि निष्काम भाव से करके आगे बढ़ जाना हो तो सेवा व संबंध दोनो ही श्रेष्ठ हैं संबंध हमें अकसर मोह से बाँध कर हमारी आध्यात्मिक उन्नति को रोकते है अपितु निष्काम सेवा उसमें वृद्धि लाती है।गुरू शरणागत मनुष्य को ही ये सुलझा हुआ विश्लेषण व मार्ग दर्शन नसीब होता है गुरू महिमा व कृपा के सानिध्य का ये अप्रतिम उद्धारण है


Compiled and edited by Preeti ji
(Founder memeber of Yaatra watsapp group)

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